Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (3)

मन में विचार करतीं हुई रश्मि अंदर आई और अपने कमरे में जाकर काम करने लग गई....। 


ऑटो  ... बाहर आकर अपना हाथ दिखाते हुए अलका ने ओटो रिक्शा रोकी ओर वो दोनों उसमें बैठकर कॉलेज की ओर चल दिए...।रिक्शा में बैठते ही अलका राहुल से बोलीं...। 

तुम उसे बता क्यों नहीं देते......! 

राहुल- "क्या बताऊँ। "

 "ये ही कि तुम उसे पसन्द करते हो। "

राहुल मुस्कुराते हुए बोला- "मैं उसे पसन्द नहीं करता हूँ अलका, उसे प्यार करता हूँ .....पर मैं ये अच्छे से जानता हूँ कि वो मुझे सिर्फ अपना दोस्त मानती है .....और अगर मैंने ऐसा कुछ भी कहा तो वो मुझसे बात करना भी छोड़ देगी। वो मैं सह नहीं पाऊंगा। इसलिए बस इंतजार कर रहा हूँ कि......कभी तो वो मेरी फिलिंग समझेगी। "


राहुल तुम अच्छे घर से ताल्लुक रखते हो, तुम्हे मना करने की कोई वजह भी नहीं है, एक बार बोलकर तो देखो शायद वो तुम्हारे प्यार को अपना ले। 


" शायद " इसी लब्ज़ से तो डरता हूँ अलका। 
अगर उसने मना कर दिया तो......? 
मेरे तो जीने की वजह भी खत्म हो जाएगी। 
अभी ये सब बातें छोड़ो , मैं उसकी दोस्ती में भी खुश हूँ। कम से कम मेरे पास तो है।  

ऐसे तो तुम्हारा कुछ नहीं होने वाला डियर.... जिंदगी भर कुवांरे ही रह जाओगे....। 



वो मंजूर हैं..... लेकिन रश्मि से दूरी मंजूर नहीं...। 


उधर रश्मि राहुल के बोले हुए झूठ को लेकर परेशान थीं। वो मन ही मन सोच रहीं थी...अगर पापा को सच पता चल गया तो वो तो मेरी पढ़ाई भी रुकवा देंगे। ये राहुल भी ना बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देता है......। कई उसकी बातों में आकर मैंने कुछ गलत तो नहीं किया........। मुझे फोन करके उनकों रोकना चाहिए। 


राहुल और अलका कॉलेज पहुँचते हैं और रश्मि का फार्म जमा करवा देते हैं। 
तभी राहुल के फोन की रिंग बजती हैं। 
   
 
 **** तेरे हाथ में मेरा हाथ हो।।। 
   सारी जन्नतें मेरे साथ हो।।। ****


राहुल ने रश्मि का नाम देखा और तुरंत कॉल उठाया। 

हैलो ! 

 हैलो.....राहुल ...... मेरी बात सुनो और अभी का अभी वो फार्म लेकर वापस आओ। 
मुझे कोई पार्ट नहीं लेना है। 

पर अचानक ऐसा क्या हुआ रश्मि......।राहुल ने परेशान होते हुए पुछा।

वो सब मैं बाद में बताऊंगी अभी वापस आओ। 

पर वो तो हम हैड सर को जमा करा चुके, अब वापस नहीं ला सकता......। 

ओ नो! 
ये सुनकर रश्मि के मुंह से निकला। 

पर मुझे बताओ तो क्या हुआ है रश्मि। 
राहुल ने जोर देते हुए पूछा। 

रश्मि ने डरते हुए बताया- राहुल मुझे डर लग रहा है ....अगर पापा को तुम्हारे झूठ के बारे में पता चल गया तो वो मेरी पढा़ई भी रुकवा देंगे। 


बस इतनी सी बात......। तुम डरो मत ऐसा कुछ भी हो तो तुरंत मुझे बुला लेना .......मैं सब सम्भाल लुंगा। मुझ पर इतना तो भरोसा तुम कर सकतीं हो ना रश्मि.......बचपन से जानती हो मुझे। 
अभी डरना छोड़ो और ये सोच कर खुश हो जाओ कि तुम्हारा सपना सच होने जा रहा है। 


 थैंक्स राहुल तुझसे बात करके डर थोड़ा कम हो गया।। 

राहुल ने हंसते हुए कहा:-  क्या यार बस थोड़ा, मुझे तो लगा पुरा कम हो गया।

राहुल कि बात सुनकर रश्मि भी हंसने लगीं। 

अभी रखता हूँ रश्मि कल कालेज में मिलते हैं। अपना और घर पर सबका ख्याल रखना। बाय।

बाय राहुल। 
कहकर रश्मि ने फोन रख दिया.....। वो फिर से सोचने लगी....। मैं ख्माख्वाह ही परेशान हो रही हूँ....। राहुल पर भरोसा तो कर सकतीं हूँ.....। बचपन से अब तक मेरी हर उलझन को उसने ही सुलझाया हैं...। वो इस परेशानी को भी अच्छे से संभाल लेगा...। भले ही कुछ भी बोल देता हैं..... पर फिर भी मुझे कभी परेशानी में तो नहीं डाल सकता....। 



अगले दिन............................................................. 

माँ मैं कॉलेज जा रही हूँ। आपका और पापा का नाश्ता बना कर रखा है, दवाईयां भी दराज़ में रख दी है। दोपहर का खाना मैं आकर बना दुंगी और रसोई भी आकर साफ कर दुंगी। घर का बाकी सारा काम मैंने कर लिया है. ......। इसलिए आप प्लीज सिर्फ आराम करना और अपनी दवाई समय पर ले लेना। कोई भी काम हो तो मुझे फोन कर दिजिएगा। मैं जल्दी वापस आने की कोशिश करूगीं......। रश्मि अपनी किताबें लेते हुए अपनी माँ को बोल रही थी। 

इतना कहकर वो अपने पापा के पास गई, उनके पैर छुए और "चलती हूँ पापा "कहकर बाहर आई। 

बाहर आकर वो रिक्शा का इंतजार कर ही रही थीं कि एक तेज़ रफ़्तार से बाइक उसके पास से निकल गई .....। कुछ इंच से ही दुरी थीं वरना रश्मि उससे टकरा जाती.....। इस हरकत से रश्मि को बहुत गुस्सा आया और वो उस बाइक वाले पर जोर से  चिल्लाकर बोली... ए मिस्टर......। अंधे होकर गाड़ी चला रहे हो क्या.. सड़क पर खड़े लोग दिखाई नहीं देते क्या....!! 

बाइक वाले ने ये सुना तो अपनी बाइक टर्न करता हुआ रश्मि के पास आया.....। 

अचानक से तेज़ हवा चलने लगी। रश्मि का दुप्पटा उड़ने लगा....। रश्मि अपना दुपट्टा सम्भाल ही रहीं थी कि ......इतने में वो लड़का उसके सामने आकर खड़ा हो गया.......। उसने अपना हेलमेट उतारा और बाइक से उतर कर रश्मि की तरफ़ बढ़ने लगा.....वो रश्मि को कुछ बोलने ही वाला था कि रश्मि का दुप्पटा उड़ कर उसके चेहरे पर आ गया। 
रश्मि ने अपना दुप्पटा खींचा और " बदतमीज" कहते हुए अपने कदम आगे बढा़ने लगी......। 
लड़के ने कुछ नहीं बोला और रश्मि को मुस्कुराते हुए देखने लगा। 
वो वापस अपनी बाइक पर बैठा और रश्मि के पास बाइक लाकर बोला... आई एम सॉरी......आपको कहीं छोड़ दु। 

जी नहीं शुक्रिया.. पहले अपनी आँखों का इलाज़ करवाईये फिर किसी की मदद किजिएगा। रश्मि गुस्से से उसे देखते हुए बोली। 

लड़के ने मुस्कुरा कर फिर से उससे माफी मांगी और वहाँ से चला गया।
 
रश्मि अभी भी रिक्शा का इंतजार कर रहीं थी। 
पता नहीं किसका चेहरा देख कर उठीं थी इतनी देर पहले ही हो गई है और अभी तक ये रिक्शा भी नहीं मिल रही। 
रश्मि मन ही मन बोलते हुए सड़क पर चलीं जा रहीं थी। 

अपने हाथ जोड़कर ऊपर आसमान कि और देख कर बोली प्लीज बाबा जल्दी से कॉलेज पहुँचा दो.....। 

इतने में एक रिक्शा आई। वो जल्दी से उसमें बैठीं और कॉलेज  जाने लगी। 
रिक्शा में बैठते ही उसने फिर से ऊपर देखा और ..थैंक्यु बाबा जी ..कहकर बाहर देखने लगी। 


दुसरी ओर वो लड़का अभी भी रश्मि के बारे में ही सोच रहा था। ......पता नहीं ऐसा क्या था उस लड़की में उसका ख्याल दिमाग से जा ही नहीं रहा है.....। गुस्से में भी कितनी प्यारी लग रहीं थीं...। 



रश्मि की जिंदगी के ताने बाने.... जानने के लिए इंतजार किजिए अगले भाग का....। 





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3 Comments

Babita patel

16-Aug-2023 10:35 AM

Nice

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shweta soni

11-Jul-2023 08:39 PM

बहुत सुंदर भाग 👌👌👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

04-Jul-2023 06:54 PM

Nice

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